Summary of Wings of Fire विंग्स ऑफ़ फायर का हिंदी सारांश


Summary of Wings of Fire

परिचय – यह किताब किसके लिए है?

'Wings of Fire' सिर्फ एक आत्मकथा नहीं, बल्कि एक आम इंसान की असाधारण उड़ान की दास्तान है। यह किताब हर उस युवा के लिए है जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है, जो परिस्थितियों से हार मानने की बजाय उन्हें हराने का सपना देखता है। यह कहानी है एक मछुआरे के बेटे की, जो भारत का राष्ट्रपति बना, ‘मिसाइल मैन’ कहलाया और लाखों लोगों के दिलों की धड़कन बना।

अध्याय 1 – रमनाथपुरम का एक छोटा-सा लड़का

डॉ. कलाम का जन्म तमिलनाडु के रमनाथपुरम जिले के एक छोटे से गाँव धनुषकोडी में 1931 में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाव चलाते थे और मां आशियम्मा एक धर्मपरायण महिला थीं। घर बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन संस्कार बहुत गहरे थे।

कलाम जी ने बहुत ही कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। वह सुबह-सुबह अख़बार बाँटते थे ताकि अपने घर के खर्चों में मदद कर सकें। उन्हें किताबों से बेहद लगाव था, और विज्ञान के प्रति एक अलग ही आकर्षण। स्कूल में वो एक साधारण छात्र थे, लेकिन जिज्ञासु और मेहनती स्वभाव के थे।

उनकी सोच में शुरू से ही ‘उड़ान’ की चाहत थी। वे पक्षियों को उड़ते हुए देखकर वैज्ञानिक कल्पनाएँ करते थे। शायद इसी लगाव ने उन्हें आगे चलकर एरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की प्रेरणा दी।

अध्याय 2 – शिक्षा और संघर्ष का सफर

कलाम जी ने स्कूल के बाद तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की और फिर चेन्नई के मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।

यहाँ दाखिला लेना आसान नहीं था। MIT में फीस बहुत अधिक थी, लेकिन उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखकर उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया। कलाम जी ने यह अवसर कभी व्यर्थ नहीं जाने दिया और बहुत मेहनत की।

उनकी पढ़ाई के दौरान जब एक बार प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी हुई, तो एक सीनियर प्रोफेसर ने सख्त लहजे में कहा – “या तो प्रोजेक्ट पूरा करो या स्कॉलरशिप छोड़ दो।” यह बात उन्हें अंदर तक झकझोर गई और उन्होंने 3 दिन में प्रोजेक्ट पूरा कर दिखाया। इससे उनकी डेडिकेशन और विजन का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

अध्याय 3 – विज्ञान की दुनिया में प्रवेश

MIT के बाद उन्होंने DRDO (Defence Research and Development Organisation) में नौकरी शुरू की, जहाँ उन्होंने होवरक्राफ्ट पर काम किया। लेकिन उनका मन हमेशा ‘उड़ान’ यानी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स की तरफ था।

थोड़े ही समय बाद उनका चयन ISRO (Indian Space Research Organisation) में हुआ और उन्हें भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-III के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी मिली। यह वो समय था जब भारत के पास संसाधनों की बहुत कमी थी। टीम के पास न तो अत्याधुनिक मशीनें थीं, न ही कोई बड़ी लैब। लेकिन थी तो सिर्फ एक चीज़ – जुनून!

कई असफलताओं के बाद 1980 में भारत ने रोहिणी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। यही वो पल था जब डॉ. कलाम को भारत का “रॉकेट मैन” कहा जाने लगा।

अध्याय 4 – मिसाइल मैन की पहचान

ISRO में काम करने के बाद डॉ. कलाम को DRDO में बुलाया गया और वहाँ उन्होंने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) की कमान संभाली।

इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत भारत ने कई मिसाइलें तैयार कीं –

  • अग्नि (लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल)

  • प्रथ्वी (शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल)

  • त्रिशूल, अकाश और नाग जैसी डिफेंस मिसाइलें

उनकी मेहनत, नेतृत्व और दूरदर्शिता ने भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित किया। उनके इसी योगदान की वजह से उन्हें "Missile Man of India" का दर्जा मिला।

अध्याय 5 – व्यक्तिगत जीवन और मूल्य

डॉ. कलाम का व्यक्तिगत जीवन बेहद सादा और अनुशासित था। वह ब्रह्मचारी रहे और पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित किया।
उन्हें संगीत से लगाव था, विशेषकर भगवद गीता और कुरान दोनों का अध्ययन करते थे। वे हर धर्म की इज्जत करते थे और भारतीय संस्कृति के वास्तविक प्रतिनिधि थे।

उनकी सोच थी –
"Dream is not that which you see while sleeping, it is something that does not let you sleep."

वह बच्चों और युवाओं के सबसे प्रिय व्यक्ति बन गए थे। हमेशा कहते थे – “बच्चों में अपार शक्ति होती है, बस उन्हें दिशा दिखाने की जरूरत है।”

अध्याय 6 – राष्ट्रपति भवन तक का सफर

2002 में उन्हें भारत का 11वां राष्ट्रपति बनाया गया। उन्होंने राष्ट्रपति पद को सिर्फ एक औपचारिक कुर्सी नहीं माना, बल्कि उसे जनता से जुड़ने का माध्यम बना दिया।

राष्ट्रपति बनने के बावजूद उन्होंने अपनी सादगी नहीं छोड़ी। वे हर पत्र का उत्तर खुद लिखते थे। देश भर के युवाओं से मिलना, उन्हें प्रेरित करना उनका प्रिय कार्य था।

लोग उन्हें प्यार से "People's President" कहने लगे।

अध्याय 7 – अंतिम यात्रा और अमर विरासत

27 जुलाई 2015 को जब वह शिलॉंग में एक व्याख्यान दे रहे थे, तभी मंच पर ही उन्हें हार्ट अटैक आया और उन्होंने वहीं अंतिम साँस ली। उनके आखिरी शब्द थे – “Funny guy! Are you doing well?” – जो उन्होंने अपने छात्र को मुस्कुराकर कहा था।

उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन वे अपने पीछे छोड़ गए ऐसी विरासत जो हर भारतीय के दिल में जीवित है –

  • “सोचिए बड़ा, मेहनत कीजिए, खुद पर भरोसा रखिए – तो कुछ भी असंभव नहीं।”


क्यों पढ़ें 'Wings of Fire'?

  • अगर आप जीवन में कभी निराश हुए हैं – यह किताब आपको फिर से हौसला देगी।

  • अगर आप छोटे शहर से हैं – यह किताब दिखाएगी कि सपने सीमाओं से परे होते हैं।

  • अगर आप विद्यार्थी हैं – यह किताब आपको लक्ष्य तय करना सिखाएगी।

  • अगर आप भारत को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं – यह किताब एक आदर्श रोल मॉडल दिखाएगी।


अंतिम संदेश – उड़ने की हिम्मत रखो!

‘Wings of Fire’ हमें बताती है कि सफलता का रास्ता कठिनाइयों से होकर ही गुजरता है। लेकिन अगर आपके सपनों में जान है, अगर आपकी मेहनत सच्ची है, तो कोई भी ताक़त आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।

“असफलता सिर्फ यह साबित करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं हुआ।” – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम


पढ़ते रहिए, बढ़ते रहिए। आपके सपनों को पंख मिले – यही शुभकामनाएँ। 🙏

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