दही
का मूल्य
भारत के किसी शहर में
एक कारोबारी रहते थे, उनकी जिंदगी में सब
कुछ अच्छा चल रहा था | उनके परिवार में कुल तीन सदस्य थें, वह उनकी पत्नी और एक
बेटा कुल मिलाकर छोटा और सुखी परिवार था |
उनका बेटा
विदेश में पढाई कर रहा था, उनकी पत्नी के
साथ उनके रिश्ते बड़े अच्छे थे उनके घर में सब कुछ बहुत अच्छा चल ररहा था, तभी एक
दिन बहुत दुखद घटना हुई और एक्सीडेंट में उनकी पत्नी की मौत हो गयी |
उसके बाद उन्हें ऐसे
लगा कि उनका सारा काम जैसे बीच में ही रुक गया हैं, उनकी जिंदगी ख़त्म हो गयी हैं |
उनका बेटा विदेश से वापस आ गया, उसने आकर उन्हें साहस दिया कि पापा आप घबराओं नहीं
सब कुछ ठीक हो जायेगा | अपने बेटे की बाते
सुनने के बाद उन्हें कुछ ठीक लगने लगा उन्हें लगा की जिन्दगी में फिर से कुछ
परिवर्तन आ सकता है |
उन्होंने ने अपने
बेटे से कहा कि आप विदेश में न रहो, यही मेरे पास रहों और यही पर रहकर पढाई
करो, बेटे ने पिता की बात मान ली | बेटा धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था, उसने अपने पापा
को उसके लिए कठिन परिश्रम करते हुए देखा, उनके आस पास के लोगो ने उन्हें सुझाव
दिया, कि आप दूसरी शादी कर लो ताकि आपकी जिंदगी में जो उदासी हैं, वो शायद ख़त्म हो
जाए | लेकिन उन्होंने कहाँ कि मेरी पत्नी मेरे लिए बहुत बड़ा उपकार छोड़कर गयी हैं, मेरा बेटा छोड़कर गयी हैं, इसीलिए मैं दूसरी शादी
नहीं करूंगा | उन्होंने दूसरी शादी नहीं की वो इन्तजार करने लगे की बेटा बड़ा हो
जाये और अपनी पढाई खत्म करके, धीरे-धीरे उनका कारोबार संभाल लें |
वह दिन भी आया जब
बेटे ने अपनी पढाई खत्म करके अपने पिता का कारोबार संभाल लिया | अब उनकी इच्छा थी की बेटे की शादी हो जाये और बहू
घर में आ जाये | एक कहावत हैं न – कि जब
आप किसी चीज की इच्छा अपने पूरी मन से रखते हैं, तो वो पूरी हो जाती हैं | उनकी यह
इच्छा बहुत जल्दी ही पूरी हो गयी और उनके घर में बहू भी आ गयी |
सब कुछ फिर से ठीक से
चलने लगा उन्हें लगा की उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर आ गयी हैं | बेटे की शादी को एक साल हो गया था, उन्होंने अपना सारा कारोबार अपने बेटे को सौंप
दिया था, उसके नाम सारी जमीन जायदाद भी कर दी थी,
अब उनका सारा कारोबार उनका बेटा संभालता था | वह बस उसकी मदद करने के लिए ऑफिस जाते थे | एक
दिन वह ऑफिस से लंच करने के लिए घर आये और
उन्होंने बहू से कहा की बेटा खाने के साथ में आज मुझे दही भी दे देना इसपर बहू ने
कहा की पिताजी आप घर में दही नहीं हैं | उनका बेटा भी वही पर बैठा था वह कुछ भी
नहीं बोला |
पिताजी के जाने के
बाद बेटा और बहु ने लंच करना शुरू किया, तब बहू पता नहीं कहा से कटोरी में दही
लेकर आ गयी, उस समय भी बेटा चुप रहा और वह भी लंच करके अपने ऑफिस पर चला गया |
यह बात बीते कुछ दिन
हुए थे, कि बेटे ने अपने पापा को कॉल करके घर बुलाया कि पापा जल्दी से आप घर पर आ
जाइये, हमें कोर्ट चलना हैं |थोड़ी देर में वह आ
गए, तो बेटे ने कहा की आपको अभी मेरे साथ कोर्ट चलना है और आज आपकी दूसरी शादी हैं
| यह सुनते ही पिताजी को गुस्सा आ गया, और
उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जरुरत नहीं हैं, तुम मेरी जिंदगी में हो और तुम्हारी पत्नी हैं , मेरी बहू और बेटा मेरे साथ हैं तो सब कुछ ठीक हैं | जल्दी ही पोता आ जायेगा या पोती आ जाएगी , मुझे घबराने की जरुरत नहीं है
और मुझे दूसरी शादी नही करनी हैं |
उसके बाद उनके बेटे
ने जो कहा वो बहुत ही ध्यान देने वाली हैं :-
मैं न अपने लिए माँ
लेने जा रहा हूँ और न ही आपके लिए दूसरी पत्नी लेने जा रहा हूँ , आज मैं बस आपके
लिए दही का इंतजाम करने जा रहा हूँ | क्युकी जब उस दिन आपने लंच में दही की मांग
की थी, तो आपकी बहू ने यह कह दिया था, कि पिताजी दही नही हैं और जब मैं उसके साथ
खाना खाने बैठा तो वह दही ले आई थी |
बेटे ने अपने पिता की
दूसरी शादी करवाई, अपने नाम किये गए सारी संपत्ति और कारोबार अपने पिता के नाम कर
दी | उसके बाद खुद अपनी पत्नी के साथ किराये के घर में रहने के लिए चला गया और
अपने ही पिता की कारोबार में एक सामान्य कर्मचारी की तरह काम करने लगा, ताकि उसकी
पत्नी को दही के मूल्य की समझ आ सकें, उसे पैसों का मूल्य और रिश्तों के मूल्य की समझ
में आ सकें |
दोस्तों आज के समय
में लोग एक-दूसरे से अलग होते जा रहे हैं, अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी के
साथ अलग रहने लग रहे हैं | आज कल तो यहाँ तक देखने को मिल रहा हैं, कि जिन माँ-बाप
ने अपने बेटे के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, वह उन्हें वृद्धा आश्रम में छोड़कर
खुद ऐशों आराम की जिंदगी जी रहे हैं | लेकिन हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए, कि माँ-बाप हमारे लिए भगवान हैं, और यदि हम उनको
खुश नहीं रख सकते हैं, तो जो ऐशों आराम की जिंदगी जी रहे हैं वही बहुत ही जल्दी
बुरे वक्त में भी बदल सकता हैं, क्युकी जो आप अपने माता-पिता के साथ कर रहे हैं,
आपकी संतान भी आपसे वही सीखेगी और कही आने वाले समय में आप भी उसी जगह पर न हो
जहाँ पर आपने अपने माता-पिता को भेजा हैं |
इसलिए याद रखियें, ये वही माँ-बाप हैं, जिन्होंने हमारें लिए अपने खून
पसीने की सारी कमाई लगा दी हैं | यदि वो हमारे
लिए एटीएम कार्ड बन सकते है , तो क्या हम उनका आधार कार्ड नही बन सकते ?
यह कहानी आपको कैसी
लगी, हमें कमेंट के या Contact Us के माध्यम से जरुर बताइयेगा, हमें आपके विचारों
का इन्तजार रहेगा, इसी तरह की और भी ढेर
सारीं कहानियों और जानकारी के लिए, www.kitabtak.com को रेगुलर विजिट करते रहिये |
आपका समय समय शुभ हो
पढ़ते रहिये, बढ़ते रहिये ...........